مصرع |
اکادمی2018 |
اکادمی2007 |
غلام علی |
قدیم |
کتاب |
آڈیو |
آہ کہ صدیوں سے ہے تیری فضا بے اذاں | 423 |
426 |
391 |
134 |
بال جبریل |  |
تماشائی شگافِ در سے ہیں صدیوں کے زِندانی | 301 |
301 |
270 |
308 |
بانگ درا |  |
دوش پر اپنے اُٹھائے سیکڑوں صدیوں کا بار | 175 |
175 |
149 |
160 |
بانگ درا |  |
دِل توڑ گئی ان کا دو صدیوں کی غلامی | 571 |
571 |
520 |
55 |
ضرب کلیم |  |
سینکڑوں صدیوں سے خُوگر ہیں غلامی کے عوام | 655 |
655 |
605 |
145 |
ضرب کلیم |  |
سینکڑوں صدیوں کی کُشت و خُوں کا حاصل ہے یہ شہر | 172 |
172 |
146 |
157 |
بانگ درا |  |
شاخِ آہُو پر رہی صدیوں تلک تیری برات | 291 |
291 |
262 |
297 |
بانگ درا |  |
صدیوں رہا ہے دشمن دورِ زماں ہمارا | 110 |
110 |
83 |
82 |
بانگ درا |  |
صدیوں سے سُن رہا ہے جسے گوشِ چرخِ پیر | 271 |
271 |
241 |
272 |
بانگ درا |  |
صدیوں میں کہیں پیدا ہوتا ہے حریف اس کا | 691 |
691 |
641 |
182 |
ضرب کلیم |  |
طلب جس کی صدیوں سے تھی زندگی کو | 430 |
432 |
397 |
142 |
بال جبریل |  |
پھل ہے یہ سینکڑوں صدیوں کی چمن بندی کا | 234 |
234 |
205 |
229 |
بانگ درا |  |