مصرع |
اکادمی2018 |
اکادمی2007 |
غلام علی |
قدیم |
کتاب |
آڈیو |
اس خامشی میں جائیں اتنے بلند نالے | 79 |
79 |
48 |
36 |
بانگ درا |  |
اس چمن کی خامشی میں گوش بر آواز ہوں | 96 |
96 |
65 |
59 |
بانگ درا |  |
بربطِ قُدرت کی دھیمی سی نوا ہے خامشی | 175 |
175 |
149 |
160 |
بانگ درا |  |
تُو ڈھُونڈتا ہے جس کو تاروں کی خامشی میں | 199 |
199 |
171 |
188 |
بانگ درا |  |
خامشی کہتے ہیں جس کو، ہے سخن تصویر کا” | 105 |
105 |
78 |
75 |
بانگ درا |  |
سرمایہ دارِ گرمیِ آواز خامشی! | 206 |
206 |
178 |
196 |
بانگ درا |  |
سُنا دیا گوشِ منتظر کو حجاز کی خامشی نے آخر | 167 |
167 |
140 |
150 |
بانگ درا |  |
شاعر کے فکر کو پرِ پرواز خامشی | 206 |
206 |
178 |
196 |
بانگ درا |  |
محمل میں خامشی کے لیلائے ظُلمت آئی | 201 |
201 |
174 |
190 |
بانگ درا |  |
مرتا ہوں خامشی پر، یہ آرزو ہے میری | 78 |
78 |
47 |
35 |
بانگ درا |  |
کس قدر اشجار کی حیرت فزا ہے خامشی | 175 |
175 |
149 |
160 |
بانگ درا |  |
گُل کو زبان دے کر تعلیمِ خامشی دی | 111 |
111 |
84 |
83 |
بانگ درا |  |
یوں زبانِ برگ سے گویا ہے اس کی خامشی | 52 |
52 |
22 |
4 |
بانگ درا |  |