مصرع |
اکادمی2018 |
اکادمی2007 |
غلام علی |
قدیم |
کتاب |
آڈیو |
باندھا مجھے جو اُس نے تو چاہی مری نمود | 77 |
77 |
46 |
34 |
بانگ درا |  |
باندھتے ہیں پھُول بھی گُلشن میں احرامِ حیات | 240 |
240 |
211 |
236 |
بانگ درا |  |
برف نے باندھی ہے دستارِ فضیلت تیرے سر | 51 |
51 |
22 |
4 |
بانگ درا |  |
بُلبلِ دلّی نے باندھا اس چمن میں آشیاں | 116 |
116 |
89 |
89 |
بانگ درا |  |
جو عہد صحرائیوں سے باندھا گیا تھا، پھر اُستوار ہو گا | 167 |
167 |
140 |
150 |
بانگ درا |  |
جہاں سے باندھ کے رختِ سفر روانہ ہُوا | 224 |
224 |
197 |
218 |
بانگ درا |  |
سپند آسا گرہ میں باندھ رکھّی ہے صدا تو نے | 101 |
101 |
73 |
68 |
بانگ درا |  |
صف باندھے دونوں جانب بُوٹے ہرے ہرے ہوں | 78 |
78 |
47 |
35 |
بانگ درا |  |
محملِ پروازِ شب باندھا سرِ دوشِ غبار | 180 |
180 |
153 |
166 |
بانگ درا |  |
کفِ آئینہ پر باندھی ہے او ناداں حنا تو نے | 101 |
101 |
73 |
69 |
بانگ درا |  |